Good Speaker कैसे बनें? How to Become a Good Speaker?

हमसे दुनिया के छोटे बड़े सारे काम करवा लीजिये लेकिन लोगो के सामने बोलने का काम न बाबा न, अक्सर आपने ये लाइन लोगो के मुहं से बहुत बार सुनी होगी और बात बिलकुल सही भी है क्योकिं बाकई में लोगो के सामने बोलना मुश्किल तो है लेकिन इतना भी मुश्किल नही जितना शायद आप सोच रहें है तो इसीलिए तो कहाँ जाता है एक सामान्य व्यक्ति भी भीड़ से अलग नजर आ सकता है अगर वो एक अच्छा वक्ता हो

यदि आप ग्रुप सेमिनार, किसी मीटिंग या स्टेज पर जाने के नाम से डरते है भीड़ को सम्बोधित करने का सोचकर के आपके हाथ पैर कापने लगते है या फिर जब आप सामने वाले तक अपनी बात पहुचाते है तो वो आपकी बातों को इग्नोर कर देता है तो इन सारी सिचुबेसन में हमारी ये जानकारी आपकी बहुत मदद करेंगी तो आज हम आपको बताने वाले है कैसे आप बनें एक अच्छे वक्ता ?

Good Speaker कैसे बनें? How to Become a Good Speaker?

स्पीच की तैयारी करें

सबसे पहला और मोस्ट इन्फोरटेंट काम है जिस विषय पर जिस जगह और जिस समूह या ग्रुप के सामने आप स्पीच देने वाले है उसके अकोडिंग आपकी तैयारी अच्छी होनी चाहिए तैयारी करने के लिए खुद को आप पर्याप्त समय दे इंटरनेट, अखबारों और लाइब्रेरी का आप इस्तेमाल कर सकते है और जबरदस्त कंटेंट तैयार कर सकते है मिरर के सामने उसकी प्रेकिट्स करें हो सकें तो अपनी स्पीच की रिकोर्डिंग करके भी आप सुन सकते है और गलतियों को सुधार सकते है याद रखें आप चाहें कितना अच्छा बोलना क्यों न जानते हो अगर आपका कंटेंट अगर अच्छा नही है तो बात नही जमेगी मजा नही आएगा इसलिए कंटेंट इज वेरी इन्फोर्टेंट

आपकी पोजिटिव सोच

पोजिटिव सोच यानि की ये सोचे की आपको सफल होकर आना है और वैसे भी कहाँ जाता है कि सफलता का सबसे बड़ा सूत्र यानि कि सबसे बड़ा फार्मूला यही है कि आप कभी भी हार नही माने हार के बारे में आप सोचें भी नही हम अपने दिमाग के लिए जैसे मेसेज टाइप करते है या दिमाग को इनपुट देते है उसी के अकोडिंग हमें आउटपुट प्राप्त होता है और हम वैसा ही कार्य करते है यदि हम दिमाग को लगातार असफलता और हार का संदेश देंगे तो हमारी हार निश्चित है इसका उल्टा भी उतना ही सही है इसीलिए दिमाग और मन को हमेशा सफलता और आत्मविश्वास का संदेश दीजिये जिससे आउटपुट के रूप में आप हमेशा प्रसन्न रहेंगे और शरीर भी उसी के अनुरूप आगें बढने को तैयार होगा तो यदि आप हमेशा और हर बार खुद से ये कहें की आप इसे यकीनन कर सकते है आपके अंदर वो क्कालिती है तो आप उसें सफलता से पूरा कर लेंगें

इसीलिए खुद पर यकीन करते हुए पूरे कांफिडेंस के साथ अपने विचार श्रोताओं के सामने प्रकट कीजिये यकीनन आप श्रोताओं का दिल जीत सकते है क्योकिं आपको हराने और जिताने वाला आप ही के अंदर है न की बाहर

श्रोताओं से जुड़े

श्रोताओं से जुड़े, क्योकिं हमेशा श्रोताओं से जुड़ने का प्रयास करना बहुत ही जरूरी है यदि आप पहले भी कभी उनके शहर में आ चुकें हो तो उन बातों को दोहराए उन शहर के यादगार लम्हों को उनके सामने रखिए उस स्थान के दुर्लभ स्थानों के बारे में बाते कीजिये यदि उस अनगिनत की भीड़ में भी आप कुछ लोगों को जानते हो तो उनका आदर पूर्वक जिक्र कीजिये

हमेशा ऐसी बाते करने का प्रयास कीजिये जैसे की आप खुद उस शहर से बहुत दिनों से जुड़े हो उन लोगो के प्रति आपके दिल में बहुत प्यार और स्नेह है और आप खुद भी उस शहर से बहुत प्यार करते है तो ये बाते जितनी अधिक आपके ह्रदय से निकलेगी उतने ही श्रोता आपको पसंद करेंगे

लेकिन ध्यान रहें कि बनावटी बाते किसी को पसंद नही आती और जितना ज्यादा श्रोता आपको पसंद करेंगे उतना ही अधिक वो आप पर विश्वास करेंगे तो बातों को अच्छे ढंग से कहने का प्रयास कीजिये जैसे ये कहने की वजाए यदि तुम्हें तुम्हारा शहर खुबसुरत बनाना है तो तुमको प्रदूषण हटाना ही होगा कि जगह यदि हमें हमारा शहर खुबसुरत बनाना है तो हम सब को मिलकर प्रदूषण हटाना होगा देखियें किस तरह शब्दों के चेंज से भाव चेंज हुआ और भाव चेंज होने से लोगो की आपके प्रति ओपिनियन भी बदल जाएगा बस इतना ही आसान है

भाषण बिना देखें बोंले

भाषण बिना देखें बोले, जी हाँ ये बहुत जरूरी है अगर एक प्रभावी वक्ता बनना है तो आपको बिना देखें बोलना आना चाहिए

आई कांटेक्ट बनाएं रखें

आई कांटेक्ट बनाएं रखें, एक अच्छा स्पीकर हमेशा स्पीच देते वक्त ऑडियंस की आखों में देखता है ऐसा करने से उसके सेल्फ कॉंफिडेंट का पता चलता है इसलिए इस बात का धयान रखें आप इधर – उधर देखने की बजाएं श्रोताओ को देखें याद रखें की आप किसी एक ही व्यक्ति को नही देख रहें बल्कि बारी – बारी से पुरे ग्रुप से नजर मिला रहें है ताकि लोगो को लगें आप सबसे बात कर रहें है न की एक या दो से

रूचि की बात करें

रूचि की बात करिए, यानि उनके इन्टरस की बात कीजिये यदि आप सफल वक्ता बनना चाहते है तो आपको श्रोताओं की पसंद का हमेशा धयान रखना चाहिए जब आप श्रोता को एक दोस्ताना महौल देते है उनके व्यापार उनकी समस्याओं की बाते करते है तो श्रोता को कभी भी अकेलापन महसूस नही होता आपकी जिन्दगी के छोटे – छोटे हिस्से और उनकी जिन्दगी से जुडी हुई बाते छोटी – छोटी खुशियों के पल जब उनके भाषण के बीच में आते है तो श्रोता को आपको अपनाने में देर नही लगती यदि आप श्रोता संस्था या समाज की किसी उपलब्धी की बात उनके सामने करते है तो प्रतिक्रिया में उनके मुख खुले के खुले रह जाते है लोग ये सुनकर हैरान हो जाते है कि ये सब वक्ता को कैसे पता चला बस ऐसी ही छोटी – छोटी बातों का आपको ध्यान रखना होगा

गलती हो जाने पर घबराए न

गलती हो जाने पर घबराए नही, स्पीच के बीच में कुछ गलत प्रोनाउन्स होने पर या अटक जाना कोई गलत बात नही है बस शर्त ये है आप इस सिचुवेशन को स्मार्टली हैंडल कर ले क्योकिं ऐसे मौको पर आप इसे हास्य का मोड़ भी दे सकते है या सीधे – सीधे माप कीजियेगा बोलकर अपनी स्पीच जारी रखिएगा क्योकिं हम सभी जानते है की स्टेज पर जाकर के बोलना इतना आसान नही होता है ऐसे में छोटी मोती गलतिय होना स्भाविग है इसलिए घबराने की बिलकुल भी जरूरत नही है

निंदा से हमेशा बचें

निंदा से हमेशा बचें, श्रोताओं या फिर उनसे जुड़ी चीजो की निंदा करने से आपको बचना चाहिए जब आप भाषण दे रहें है तो आपका पूरा ध्यान श्रोताओ पर होना चाहिए और इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए की आपके मुहं से निकली बात सामने वाले पर पूरा प्रभाव डालेगी

कई बार क्या होता है की हम किसी क्षेत्र और वहां की अव्यवस्थाओं पर कड़े और अपने तीके भरे स्वर में निंदा कर देते है लेकिन इसी निंदा की वदोलत हम त्रोताओं के दिल में जगह नही बना पाते यदी आपने कभी कहाँ की यहाँ के त्रोता समर्थन नही दे रहें है या आपने कहाँ की यहाँ पर तो त्रोताओं के नाराज होने की संभावना बहुत बड जाएगी ये भी हो सकता है की वो अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण न रख पाए और वहां आपको अपमान भी सहना पड़ जाएँ

देखिये आप निंदा करके रातों – रात चीजो को नही बदल सकते इसीलिए किसी कमी पर ध्यान केन्द्रित करने की बजाए इस कमी को दूर करने के उपाय या उसके सोलुशन पर बात करना एक दम सही होगा और ये आपके त्रोताओं को भी अच्छा लगेगा

प्रशंसा से दिल जीते

प्रशंसा से दिल जीते, ये बहुत ही जरूरी है और बहुत आसान भी है लेकिन इसे करने भर की देर है त्रोताओं की दिल खोलकर वास्विक प्रशंसा करें क्योकिं प्रशंसा ही दिल को जीतने का सबसे अच्छा माध्यम है त्रोता बहुत समझदार होते है उन्हें मख्खनवाजी और वास्विकता का फर्क पता होता है तो यदि आप किसी कोलेज में स्पीच देने के लिए गयें और आप स्टूडेंट से कहते है की आप सब दुनिया के सबसे अच्छे स्टूडेंट है या आपके जैसे अच्छे और होनहार स्टूडेंट हमने आज तक नही देखें तो बच्चे समझ जायेंगे की आप सिर्फ मख्खन लगा रहें है

यदि आप कहते है बच्चों आप सब को देखकर मुझे न मेरे कॉलेज लाइफ की याद आ गई आपने इतने अच्छे से मेरा वेलकम किया मेरे माथे पर तिलक लगाया ये सब मुझे बहुत अच्छा लगा और मेरे दिल को छू गया और पुरानी यादे एक दम से ताजा हो गई मेरी माँ मेरे माथे पर अक्सर तिलक लगाया करती थी और आप सब ने न मुझे उनकी याद दिला दी इसके लिए बहुत सारा धन्यबाद तो ये उन्हें ज्यादा अच्छा लगेगा इसी प्रकार से आप सिर्फ दो शब्दों में प्रशंसा के माध्यम से त्रोताओं का दिल जीत सकते है

माफ़ी से कभी शुरुआत न करें

माफ़ी से कभी शुरुआत न करें, कई लोग स्टेज पर जाते ही नर्वस फील करते है और ऐसे में बहुत सारे लोगो की शुरुआत माफ़ी से होती है वो ऐसी लाइन से शुरुआत करते है कि में यहाँ आने के काबिल भी नही था आप सभी ने मुझे यहाँ आमंत्रित किया या फिर मेरे जैसे छोटे आदमी को इतना सम्मान दिया या फिर में माफ़ी चाहता हूँ की इतने दिनों तक यहाँ पर उपस्थित नही हो पाया

यदि आप अपनी स्पीच माफ़ी मागने या अपनी हीनता दिखाते हुए शुरू कर रहें है तो आप सिर्फ त्रोताओं के समय को बर्बाद कर रहें है इससे सामने वाले पर अच्छा प्रभाव कभी भी नही पड़ता आपको जिस उद्देश्य के लिए इनवाइट किया गया है उस टॉपिक पर बात कीजिये और विदा लीजिये अगर आपको किसी कारण से माफ़ी मांगनी भी है तो स्पीच के बीच में सरल शब्दों में अपनी बात कह दीजिए लेकिन भाषण की शुरुआत कभी भी माफ़ी मांगने के साथ मत कीजिये

सामान्य व्यक्ति बनकर बात करें

एक सामान्य व्यक्ति बनकर के अपनी बात कहें, कुछ लोग न स्टेज पर जाते ही न खुद को बहुत बड़ा समझने लगते है और सुनने वाले को एक दम नोर्मल तो त्रोताओं को कभी खुद से कम मत आखिए कि त्रोता आपको सुनने के लिए उपस्थित है इसी कारण आप स्टेज पर खड़ें है तो बड़ी – बड़ी बाते कहने की जगह साधारण इन्सान की तरह सामान्य शब्दों में अपनी बात त्रोताओं तक पहुचाइए इस बात का ध्यान मन में हमेशा होना चाहिए की बड़ी – बड़ी और साहित्यिक बाते सिर्फ प्रशंसा के लिए अच्छी लगती है परन्तु सामान्य बाते सीधे त्रोता के दिल पर असर डालती है तो बड़ा व्यक्ति जितना जमीन से जुड़कर बात कहता है उतनी ही ज्यादा वो प्रसिधी हासिल करता है

नकल का नही अकल का इस्तेमाल करें

नकल का नही अकल का इस्तेमाल करें, कही लोग दूसरों की स्पीच की नकल को न हुभाहू त्रोताओं तक पहुचाते है लेकिन जो त्रोता उसी स्पीच को सुन चुकें है उसे सुनने के लिए वे दोबारा अपना समय नष्ट नही करेंगे इसी लिए अपनी अकल और मन से काम लीजिये सरल शब्दों में शादगी के साथ अपने भाषण की शुरुआत कीजिये किसी भी भाषण में अपनी स्वयं की अलग पहचान बनाने का प्रयास कीजिये इसलिए आप जितना अच्छा हो सके स्टेज पर खुद की छवि बनाने का प्रयास करें

हास्य का प्रयोग करें

हास्य का प्रयोग करें, अच्छे वक्ताओं का न बहुत बड़ा हथियार होता है हास्य, भाषण में बीच – बीच में हास्य का प्रयोग त्रोताओं को बांधें रखता है हास्य का एक अहम फ्ह्लू है खुद पर हंसना ऐसा करना आपके व्यक्तिव की विन्रमता को उजाकर करता है आपसे सम्बन्धित कोई मजाकिया त्रोताओं के बीच में बैठ कर के आप महौल को खुशनुमा बना सकते है हास्य का एक डार्क साइड भी होता है कारण सही नही है तो ऑडियंस पर इसका उल्टा असर भी हो सकता है इसलिए अगर आप इस कला में निपुण है तो ही आप ट्राय करें जबरजस्ती ट्राय करने की बिलकुल जरूरत नही है

हमेशा उसाहित रहें

हमेशा उसाहित रहें और त्रोताओं को उत्साहित करें, मतलब ये की आपको जिस टॉपिक पर स्पीच देने के लिए बुलाया गया है उस विषय पर खुद को हमेशा पोजिटिव रखिए आपका पूरा उत्साह आपकी बातों और आपके शरीर से धलकता हुआ प्रतीत होना चाहिए आपने कभी नीलामी होते जरूर देखा होगा वहां पर क्या होता है की मुख्य वक्ता किस तरीके से पुरे उत्साह से भरकर के बोली लगाता है और देखते ही देखते वो सभी को अपनी और इतना आकर्षित कर देता है की लोग अपनी हैसियत से ऊँची बोली लगा बैठते है यदि आप अपना भाषण त्रोताओं तक पहुचाने वाले हो तो खुद को उत्साह की चरम सीमा तक ले जाइये

दिए हुए वक्त में भाषण पूरा करें

दिए हुए वक्त में भाषण पूरा करें, कई बार लोग शुरुआत तो बहुत अच्छी करते है लेकिन अपनी बात को इतना खीचता चले जाते है की त्रोता बोर हो जाते है तो कम शब्दों में अपनी बात को कहना एक कला है और एक अच्छा वक्ता इस बात को अच्छे से जानता है इसीलिए आपको भाषण के लिए जितना समय दिया गया है उतने में ही अपनी बात पूरी कीजिये याद रखिये एक अच्छा वक्ता वो नही होता जो अच्छी तरह भाषण शुरू करना जनता है बल्कि वो होता है जो सही समय पर रुकना भी जनता है

थैंक्स करना न भूले

थैंक्स करना न भूले, स्पीच के अंत में आयोजक, स्पोंसर और त्रोताओं आदि के सहयोग के लिए उन्हें धन्यबाद करना बिलकुल न भूले सबकुछ अच्छा करने के साथ – साथ अगर आप दिल से लोगो को धन्यबाद देते है ये सोने पर सुहागा जैसा काम करता है तो आप इसे कभी भी मिस न करें

अंत भला तो सब भला

अंत भला तो सब भला, यानि भाषण का जो अंत है न वो प्रभावशली होना चाहिए स्पीच के अंत में लोगो में जोश पैदा होना चाहिए या फिर उन्हें अच्छा फील होना चाहिए कई नेता इसके लिए अंत में जय हिन्द या वन्दे मातरम् जैसे नारे लगवा देते है तो ऐसा हर जगह तो नही किया जा सकता पर आप कुछ सेर और शायरी या सुविचार आपको आता है तो उसका इस्तेमाल कर सकते है स्पीच को पोजिटिव मोड़ पर एंड करने से आप उसे यादगार बना देते है और लम्बे समय तक लोग उसे याद रखते है भाषण का अंत कैसा हो इसके ऊपर विशेष ध्यान दे

ऐसी ही कुछ छोटी – छोटी बातों का ध्यान रखकर के आप किसी के भी समाने फिर चाहे दस बीस हो या फिर 10 हजार या लाखों लोग हो किसी के भी सामने अपने आपको प्रेजेंट कर सकते है आप अपनी बात उनके सामने रख सकते है क्योकि दुनिया का सारा मोटिवेशन आपके अंदर है और उसको जगाने की जिम्मेदारी कोई और नही ले सकता वो जिम्मेदारी आप ही को लेनी होगी आप आज ले कल ले परसों ले ये आप ही को डिसाइड करना है हमारी और से ठेर सारी शुभकामनायें आपके साथ है और ये उम्मीद करते है की हमारी ये जानकरी आपके लिए बहुत ही हेल्पफुल रहेंगी और आगें भी इसी तरह की इनोवेटिक और आपके काम की जानकारी लेते रहने के लिए हमारे साथ बने रहें

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